Indore News: इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) के विभिन्न विभागों में पढ़ने वाले छात्र अपने असाइनमेंट और प्रोजेक्ट बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स का सहारा ले रहे हैं। यह जानकारी हाल ही में कुछ प्राध्यापकों को मिली है। जांच के दौरान असाइनमेंट में लेखन शैली में अंतर देखा गया, जिसके बाद छात्रों से पूछताछ की गई।
तब पता चला कि छात्रों ने चैटजीपीटी जैसे एआई एप्लीकेशन का उपयोग कर असाइनमेंट पूरा किया है। इसके बाद विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों ने एआई टूल्स का उपयोग करने वाले छात्रों को कम अंक देने का फैसला किया है।
एआई से तैयार असाइनमेंट प्लेगरिज्म की श्रेणी में
विभागाध्यक्षों के अनुसार, एआई एप्लीकेशन की मदद से असाइनमेंट तैयार करना प्लेगरिज्म (साहित्यिक चोरी) की श्रेणी में आता है। आईएमएस, आईआईपीएस, ईएमआरसी और कॉमर्स सहित कई विभागों में असाइनमेंट तैयार करने में गड़बड़ी पाई गई है। अब यह तय किया गया है कि यदि कोई छात्र एआई टूल्स का उपयोग करते हुए पाया जाता है, तो उसके इंटरनल अंक काटे जाएंगे।
प्राध्यापकों का मानना है कि एआई तकनीक का अत्यधिक उपयोग छात्रों की रचनात्मकता को खत्म कर देता है। वे भले ही परीक्षा पास कर लें, लेकिन उन्हें अपने विषय का वास्तविक ज्ञान नहीं मिल पाएगा। इससे छात्रों के कौशल और सीखने की प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
असाइनमेंट में लेखन शैली से पकड़ी गई गड़बड़ी
प्रबंधन विषय की एक प्राध्यापक ने बताया कि चैटजीपीटी और अन्य एआई टूल्स से तैयार असाइनमेंट की लेखन शैली बिल्कुल अलग होती है। अंग्रेजी में तैयार असाइनमेंट आसानी से पकड़ में आ जाते हैं, क्योंकि पहले छात्र आम बोलचाल वाली अंग्रेजी में असाइनमेंट लिखते थे, लेकिन जनवरी सेमेस्टर के दौरान असाइनमेंट में साहित्यिक भाषा नजर आई।
कुछ छात्रों ने केस स्टडी पर असाइनमेंट दिया था, जिसमें उन्होंने डेटा का उल्लेख न करते हुए सिर्फ सतही जानकारी दी थी। इन असाइनमेंट में छात्रों की मौलिक सोच और रचनात्मकता का अभाव देखा गया।
परीक्षा में भी एआई टूल्स का उपयोग
छात्र सिर्फ असाइनमेंट बनाने के लिए ही एआई टूल्स का उपयोग नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने परीक्षा में भी चैटजीपीटी से नकल की है। जनवरी सेमेस्टर की परीक्षाओं में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। आईएमएस के निदेशक डॉ. दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि परीक्षा में एआई टूल्स का उपयोग करने वाले कुछ छात्रों के खिलाफ नकल प्रकरण दर्ज किए गए हैं।
एआई से तैयार असाइनमेंट की पहचान कैसे करें?
लेखन शैली का विश्लेषण: एआई से तैयार सामग्री अक्सर एक समान और अत्यधिक व्यवस्थित होती है। छात्रों के नोट्स और सामान्य लेखन शैली से तुलना करके गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है।
डिटेक्शन टूल्स का उपयोग: एआई से तैयार असाइनमेंट की पहचान करने के लिए कुछ डिटेक्शन टूल्स भी उपलब्ध हैं, जो आसानी से गड़बड़ी पकड़ सकते हैं।
मौखिक परीक्षा (वायवा): छात्रों से उनके असाइनमेंट या प्रोजेक्ट पर मौखिक परीक्षा ली जा सकती है। यदि उनके जवाब और असाइनमेंट में अंतर मिलता है, तो कार्रवाई की जा सकती है।
व्यक्तिगत राय और अनुभव पर आधारित प्रश्न: असाइनमेंट में ऐसे प्रश्न पूछे जाएं, जिनमें छात्र की व्यक्तिगत राय, अनुभव या वास्तविक उदाहरण शामिल हों। एआई से बने जवाब सतही और सामान्य होते हैं।
विश्वविद्यालय की नई नीति
विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने कहा कि परीक्षा और असाइनमेंट में एआई के इस्तेमाल पर पाबंदी है। यदि कोई छात्र इसका उपयोग करते हुए पाया जाता है, तो विभागाध्यक्ष कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में एक नई नीति बनाई जाएगी, ताकि भविष्य में छात्र ऐसा न कर सकें।