Friday, June 27, 2025
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Union Carbide Kachra: यूनियन कार्बाइड के 307 टन कचरे के निष्पादन की तैयारी

Union Carbide Kachra: भोपाल गैस त्रासदी के 40 वर्ष बाद, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर में जमा घातक कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस कचरे को धार जिले के पीथमपुर (Union Carbide Kachra) स्थित रि-सस्टेनेबिलिटी (पूर्व में रामकी) कंपनी के संयंत्र में तीन परीक्षणों के बाद निष्पादित किया जाएगा। इन परीक्षणों की रिपोर्ट 27 मार्च को जबलपुर हाई कोर्ट में पेश की जाएगी, जिसके आधार पर 307 टन कचरे के निष्पादन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।

तीन चरणों में कचरे का निष्पादन

यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन के लिए पीथमपुर (Union Carbide Kachra) में तीन चरणों में परीक्षण किए गए। पहला चरण 27 फरवरी, दूसरा चरण 4 मार्च और तीसरा चरण 10 मार्च को शुरू किया गया। प्रत्येक चरण में 10-10 टन कचरे का निष्पादन किया गया। हालांकि, कचरा जलाने की दर हर चरण में अलग-अलग थी।

पहला चरण: 135 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से 74 घंटे में कचरा जलाया गया।

दूसरा चरण: 180 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से 55 घंटे में कचरा जलाया गया।

तीसरा चरण: 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से 37 घंटे में कचरा जलाया गया।

राख को सुरक्षित रखा गया

कचरा दहन के बाद निकली राख को कंपनी (Union Carbide Kachra) परिसर में ही बनाए गए टीन शेड में सुरक्षित रूप से पैक कर रखा गया है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी ने बताया कि तीनों चरणों के परिणामों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। बोर्ड की बैठक में आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।

अगले कदम

तीनों चरणों की रिपोर्ट जबलपुर हाई कोर्ट (Union Carbide Kachra) में 27 मार्च को पेश की जाएगी। कोर्ट के निर्देशों के बाद 307 टन कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। राख की निष्पादन प्रक्रिया सबसे अंत में की जाएगी।

भोपाल गैस त्रासदी की पृष्ठभूमि

भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे भयावह (Union Carbide Kachra) औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है। 2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस लीक होने के कारण हजारों लोगों की मौत हो गई थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे। इस घटना के बाद से फैक्ट्री परिसर में जमा कचरा एक बड़ा पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट बना हुआ है।

इस कचरे के सुरक्षित निष्पादन से न केवल पर्यावरण को राहत मिलेगी, बल्कि भोपाल के लोगों के लिए भी एक बड़ी चिंता का समाधान होगा।

Reena Dhurwey
Reena Dhurwey
रीना धुर्वे एक वरिष्‍ठ पत्रकार और इक्षित वचन ग्रुप में उप संपादक हैं। पत्रकारिता जगत में पिछले चार साल से सक्रिय हैं। वर्ष 2020 से पत्रकारिता में करियर की शुरुआत की और यह क्रम लगातार जारी है। पत्रकारिता की ट्रेनिंग लेने के बाद करियर स्‍थानीय वेबसाइट और समाचार पत्रों में सब एडिटर के रूप में अपनी सेवाएं दीं। अब इक्षित वचन ग्रुप के साथ जुड़कर काम कर रही हैं। लाइफ स्‍टाइल, खाना खजाना, महिलाओं से जुड़े मुद्दों और खबरों पर इनकी खास रुचि है। हालांकि अन्‍य खबरों पर भी ये खास पकड़ रखती है। खबर को बेहतर से बेहतर तरीके से पाठकों तक पहुंचाने की इनकी कोशिश रहती है। जो सीखा है उसे निखारना और कुछ नया सीखने का क्रम जारी है।
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