Garmi me Moong Fasal Ki Kheti: मप्र में किसान गर्मी के समय में तीसरी फसल मूंग की खेती कर रहे हैं। किसानों ने खेतों में लगभग मूंग की फसल की बोवनी कर दी है और फसल में सिंचाई का काम चल रहा है। इसी के साथ ही जिन किसानों ने फसल की बोवनी जल्दी कर दी थी, उन खेतों की मूंग फसल (Garmi me Moong Fasal Ki Kheti) में फूल और फली आना शुरू हो गई है।
फूल और फली निर्माण के दौरान ही मूंग फसल में सबसे ज्यादा इल्लियों का प्रकोप बढ़ जाता है। किसान भाइयो फली निर्माण के समय में यदि फसल पर ध्यान नहीं दिया और इल्ली का प्रकोप हो गया तो आर्थिक नुकसान हो सकता है।
कैसे नुकसान पहुंचाती है इल्ली
फूल और फल के दौरान मूंग फसल (Garmi me Moong Fasal Ki Kheti) में सफेद बैंगनी रंग की मारूका इल्ली के प्रकोप की सबसे ज्यादा शिकायत रहती है। यह इल्ली फसल के फूलों में पाई जाती हैं। जब फली का निर्माण होता है तो यह उसके अंदर प्रवेश कर जाती है और दाना खाना शुरू कर देती है। इससे फसल को काफी नुकसान होता है।
इन दवाई के मिश्रण का घोल बनाकर डालें
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार मूंग फसल (Garmi me Moong Fasal Ki Kheti) में यदि इल्ली का प्रकोप है तो तुरंत दवाई का छिड़काव करें। इसके लिए टेट्रानिलिप्रोल 50 एमएल प्रति एकड़, डेल्टामेथ्रिन 100 एमएल या लेम्डासाइक्लोप्रिन 100 एमएल, क्लोरोइंट्रानिलीप्रोल या इमिडाक्लोप्रिड 140 एमएल, बीटासाइक्लोथ्रिन प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी में घोल बना लें और सुबह और शाम के समय में मूंग फसल में छिड़काव करें।
पाउडी मिल्डयु रोग से बचाएं
मूंग फसल में एक रोग और पाया जाता है, वह है पाउडी मिल्डयु रोग। इस रोग से मूंग फसल (Garmi me Moong Fasal Ki Kheti) को छुटकारा दिलाना जरूरी है। इसके निदान के लिए किसान भाई टेबुकुनोजॉल सल्फर 400 ग्राम का छिड़काव प्रति एकड़ में कर सकते हैं।
नोट: किसान भाइयों ये मूंग फसल के रोगों के संबंध में सामान्य जानकारी है। ज्यादा जानकारी के लिए कृषि विभाग और कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेना न भूलें।
