Civil Judge Bharti Controversy: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने सिविल जज भर्ती 2022 (Civil Judge Recruitment 2022) में एससी (SC — Scheduled Castes) और एसटी (ST — Scheduled Tribes) वर्ग के बेहद कम चयन पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने स्पष्ट कहा कि इतनी बड़ी संख्या (Civil Judge Bharti Controversy) में आरक्षित पद खाली रहना आरक्षण नीति (Reservation Policy) के खिलाफ है और चयन प्रक्रिया की गंभीर खामियों को दर्शाता है।
कोर्ट ने आदेश दिया कि एग्जाम सेल एससी–एसटी अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अंकों में शिथिलता (Minimum Marks Relaxation) देकर नई संशोधित चयन सूची (Revised Merit List) तैयार करे। इस फैसले को आरक्षित वर्ग के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।

आदिवासी समाज को समर्पित इस न्यूज पोर्टल को आर्थिक सहयोग प्रदान करें, आपके एक सहयोग से समाज के युवाओं के लिए मीडिया के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी खुलेंगे
न्यूनतम अंक घटाए जाएंगे
लिखित परीक्षा में राहत
कोर्ट ने मुख्य परीक्षा के लिए न्यूनतम अंकों को निम्नानुसार संशोधित करने का निर्देश दिया है—
- एससी (SC) अभ्यर्थी : 45% (Forty-Five Percent)
- एसटी (ST) अभ्यर्थी : 40% (Forty Percent)
यह कदम इसलिए जरूरी समझा गया क्योंकि पहले निर्धारित कटऑफ (Civil Judge Bharti Controversy) इतनी ऊँची थी कि अधिकांश एससी–एसटी अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए अर्हता ही प्राप्त नहीं कर सके।
इंटरव्यू में भी मिलेगी छूट
साक्षात्कार (Interview) में पहले 20 न्यूनतम अंक (Civil Judge Bharti Controversy) अनिवार्य थे। कोर्ट ने इसमें लचीलापन लाने का आदेश दिया है ताकि deserving उम्मीदवारों को अवसर मिल सके।
चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी : कोर्ट में सामने आई चौंकाने वाली स्थितियाँ
आरक्षित पद खाली रह जाना ‘अत्यंत गंभीर’
सुनवाई में पता चला कि कुल 191 पदों में—
- एसटी का एक भी अभ्यर्थी चयनित नहीं हुआ
- एससी वर्ग से केवल एक उम्मीदवार चयनित हुआ
- 121 एसटी पद खाली रह गए
हाई कोर्ट ने इसे “अत्यंत गंभीर” बताते हुए सवाल उठाया कि इतने बड़े पैमाने पर पद खाली रहना केवल प्रक्रिया की खामियों की ओर इशारा करता है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप : आरक्षण नीति का पालन नहीं हुआ
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और पुष्पेंद्र शाह ने दलील दी कि—
- बैकलॉग पदों को गलत तरीके से अनारक्षित वर्ग में जोड़ दिया गया
- न्यूनतम अंकों में शिथिलता नहीं दी गई
- इंटरव्यू में आरक्षित वर्ग को बेहद कम अंक दिए गए
इन सभी बिंदुओं को आरक्षण नीति के उल्लंघन के प्रमाण के तौर पर न्यायालय के सामने रखा गया।
कोर्ट आदेश से किसे सीधा फायदा होगा? (Box Item)
✔ एससी–एसटी अभ्यर्थी जिन्हें मुख्य परीक्षा या इंटरव्यू में कुछ अंकों की कमी से बाहर कर दिया गया था
✔ वे उम्मीदवार जो बैकलॉग पदों पर आवेदन कर रहे थे
✔ भविष्य की चयन प्रक्रियाओं में आरक्षण नीति को कड़ाई से लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा
FAQs
FAQ 1: सिविल जज भर्ती 2022 में एससी–एसटी अभ्यर्थियों को क्या राहत मिली?
हाई कोर्ट ने लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दोनों में न्यूनतम अंकों में शिथिलता दी है। एससी के लिए 45% और एसटी के लिए 40% अंक स्वीकार किए जाएंगे। इससे आरक्षित वर्ग के अधिक अभ्यर्थी चयन प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे।
FAQ 2: सिविल जज भर्ती में इतने पद खाली क्यों रह गए?
सुनवाई में पता चला कि आरक्षण नीति का सही पालन नहीं हुआ। बैकलॉग पदों को गलत तरीके से अनारक्षित माना गया और एससी–एसटी अभ्यर्थियों को उचित ढंग से अंक नहीं दिए गए, जिसके कारण 121 एसटी पद खाली रह गए।
FAQ 3: नई संशोधित सूची कब जारी होगी?
कोर्ट ने एग्जाम सेल को अगली सुनवाई तक नई संशोधित सूची प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। नई सूची में न्यूनतम अंकों में दी गई शिथिलता को शामिल किया जाएगा।
