Mahua Cookies: आदिवासी समुदाय के लिए महुआ का फूल बहुत ही खास माना जाता है। कहते हैं यह फूल उनके खान—पान का हिस्सा भी रहा है। आदिवासी समुदाय गोंड जनजाति (Mahua Cookies) के लोग इस फूल को संभालकर रख इसको पूजा के कार्य में भी इस्तेमाल करते हैं।
महुआ के फूल की खासियस यह है कि यह भी खराब (Mahua Cookies) नहीं होता है। जब भी इसे ताजा करना होता है आदिवासी इसे पानी में रातभर के लिए भिगोकर रख देते हैं, और सुबह यह फूल एकदम ताजा हो जाता है। इसी विशेषता के कारण इस फूल को पूजा के रूप में भी आदिवासी उपयोग करते हैं। इसी फूल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोनी ने मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया है।
महुआ के फूल से बनते हैं कई तरह के व्यंजन
महुआ के फूल जिसे आदिवासी समुदाय के लोग जंगल के चुनकर स्टॉक में रखते हैं। यह फूल (Mahua Cookies) हमेशा से उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसी फूल से आदिवासी कई तरह के व्यजंन बनाकर भोजन के रूप में खाते हैं। इसमें चीला, रोटी, भात और यहां तक की शराब भी तैयार करते हैं।

जीवन यापन का हिस्सा बना महुआ का फूल
लेकिन अब इसे छिंदवाड़ा की महिलाओं ने महुआ (Mahua Cookies) के फूल को अपने जीवन यापन का हिस्सा बना लिया है। इस फूल से अब कुकीज भी तैयार होने लगे हैं। कुकीज के साथ साथ बिस्किट, लड्डू जैसे कई व्यंजन भी बनने लगे हैं। जिसका जिक्र मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया है।

आर्थिक रूप से मजबूत हो रही महिलाएं
छिंदवाड़ा के राजाखोह गांव की चार बहनों ने दो साल पहले महुआ के फूल से कुकीज (Mahua Cookies) बनाना शुरू किया। अब यह कुकीज देशभर में लोकप्रिय हो रहे हैं। इसकी डिमांड मध्य प्रदेश ही नहीं दिल्ली तक हो रही है। इससे महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत भी हो रही हैं और अच्छा पैसा कमा रही हैं। महिला देवकी चौरे ने बताया कि वे पिछले दो साल से महुआ के फूल से कुकीज बना रही हैं। जिससे उनको अच्छी आमदनी हो रही है।
जिला प्रशासन के माध्यम से बेच रहे
राजाखोह गांव की महिलाओं ने बताया कि उनके कुकीज (Mahua Cookies) की बुकिंग अब ऑनलाइन भी हो रही है। जिला प्रशासन के माध्यम से वे इसकी बिक्री करती हैं।