Thursday, November 20, 2025
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Medicinal Crops Farming Subsidy: MP में औषधीय फसलों की खेती पर 50% सब्सिडी

Medicinal Crops Farming Subsidy: देश और विदेश में आयुर्वेदिक उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता ने औषधीय फसलों (Medicinal Crops) की डिमांड को रिकॉर्ड स्तर पर ला दिया है। मध्यप्रदेश, जो पहले से ही औषधीय (Medicinal Crops Farming Subsidy) और सुगंधित फसलों का राष्ट्रीय अग्रणी राज्य है, अब सरकारी प्रोत्साहन के साथ इस क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है।
यह रिपोर्ट मध्यप्रदेश में औषधीय फसलों की खेती को मिल रही 50% तक की सब्सिडी (Subsidy on Medicinal Crops Farming) और किसानों को हुए लाभ पर आधारित है।

मध्यप्रदेश: औषधीय फसलों का देश का सबसे बड़ा केंद्र

एक अनुमान के अनुसार, भारत में औषधीय (Medicinal Crops Farming Subsidy) फसलों के कुल उत्पादन का 44% हिस्सा अकेले मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में उत्पादित होता है। वर्ष 2024-25 में लगभग 1.24 लाख मीट्रिक टन औषधीय फसलों का उत्पादन हुआ—जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।

पिछले वर्षों में खेती का विस्तार

  • वर्ष 2022-23 में खेती का क्षेत्र: 44,324 हैक्टेयर
  • वर्ष 2024-25 में खेती का क्षेत्र: 46,837 हैक्टेयर
  • कुल वृद्धि: 2,512 हैक्टेयर

उत्पादन में बढ़ोतरी

  • वर्ष 2021-22 में उत्पादन: 1,16,848 मीट्रिक टन
  • वर्ष 2024-25 में उत्पादन: 1,24,199 मीट्रिक टन

यह वृद्धि बताती है कि किसान पारंपरिक फसलों की तुलना में औषधीय फसलों (Medicinal Herb Farming) को अधिक लाभकारी मान रहे हैं।

राज्य सरकार दे रही है 50% तक सब्सिडी (50% Subsidy on Medicinal Crops)

मध्यप्रदेश सरकार औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को व्यापक प्रोत्साहन दे रही है।

सब्सिडी योजना की मुख्य बातें

  • 20% से 50% तक अनुदान
  • औषधीय पौधों को वाणिज्यिक फसल के रूप में बढ़ावा
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन
  • स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को जोड़कर सामुदायिक खेती को बढ़ावा

सरकार पारंपरिक फसलों की तुलना में औषधीय पौधों को अधिक लाभदायक विकल्प के रूप में विकसित कर रही है। इससे किसानों को बेहतर मूल्य मिलता है और बाजार की मांग भी स्थिर रहती है।

मध्यप्रदेश की प्रमुख औषधीय फसलें (Major Medicinal Crops)

प्रदेश में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों का क्षेत्रफल

  • ईसबगोल (Isabgol) — 13,000 हैक्टेयर
  • अश्वगंधा (Ashwagandha) — 6,626 हैक्टेयर
  • सफेद मूसली (Safed Musli) — 2,403 हैक्टेयर
  • कोलियस (Coleus) — 974 हैक्टेयर
  • अन्य औषधीय फसलें (Other Medicinal Herbs) — 23,831 हैक्टेयर

बाज़ार उपलब्धता और ब्रांड कनेक्ट

मध्यप्रदेश सरकार किसानों की फसलों को बड़े आयुर्वेदिक ब्रांडों से सीधे जोड़ रही है, जिनमें शामिल हैं:

  • डाबर
  • बैद्यनाथ
  • संजीवनी क्लिनिक
  • विंध्यवैली ब्रांड

इससे किसानों को स्थानीय स्तर पर ही बाज़ार उपलब्ध हो रहा है और बिचौलियों पर निर्भरता भी कम हो रही है।


औषधीय फसलें क्यों हैं फायदेमंद?

  • कम पानी की जरूरत
  • बेहतर बाजार मूल्य
  • निर्यात की उच्च संभावना
  • लंबे समय तक स्टोरेज योग्य
  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अवसर

FAQs

Q1. मध्यप्रदेश में औषधीय फसलों (Medicinal Crops) की खेती पर कितनी सब्सिडी मिलती है?

राज्य सरकार किसानों को 20% से 50% तक सब्सिडी प्रदान करती है। यह सब्सिडी पौधों की खरीद, बीज, खेती के इनपुट और प्रशिक्षण पर लागू होती है।

Q2. कौन-कौन सी औषधीय फसलें (Medicinal Herbs) मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा उगाई जाती हैं?

प्रदेश में प्रमुख फसलें हैं—अश्वगंधा (Ashwagandha), सफेद मूसली (Safed Musli), ईसबगोल (Isabgol), तुलसी, गिलोय और कोलियस।

Q3. औषधीय फसलों की खेती से किसानों को क्या लाभ होता है?

किसानों को बेहतर बाजार मूल्य, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के अवसर, निर्यात की संभावना, कम पानी की आवश्यकता और सरकारी सब्सिडी जैसे कई लाभ मिलते हैं।

Sanjeet Dhurwey
Sanjeet Dhurwey
संजीत कुमार धुर्वे एक वरिष्ठ पत्रकार और इक्षित वचन ग्रुप के एडिटर हैं। पत्रकारिता जगत में पिछले 14 साल से सक्रिय। वर्ष 2011 से पत्रकारिता में करियर की शुरुआत की और यह क्रम लगातार जारी है। 2011 से 2024 तक के इस पूरे सफर में एबीपी न्‍यूज, सामुदायिक रेडियो, दैनिक भास्कर, हरभिूमि, बंसल न्‍यूज चैनल व समाचार पत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर बखूबी जिम्मेदारी निभाई है। मौसम, खेल, राजनीतिक और अपराध रिपोर्टिंग, इन विषयों पर इनकी रुच‍ि है। हालांकि इनकी पकड़ प्रशासनिक, हेल्‍थ, लाइफ स्‍टाइल की खबरों पर भी पकड़ मजबूत हैं। खबर को बेहतर से बेहतर तरीके से पाठकों तक पहुंचाने की इनकी कोशिश रहती है। जो सीखा है उसे निखारना और कुछ नया सीखने का क्रम जारी है।
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