Sehore News: आष्टा। यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत एल्ब्रस को फतह कर इतिहास रच कर विधायक गोपालसिंह इंजीनियर के गृह ग्राम मुल्लानी की 12 वर्ष की बेटी प्रीति स्वदेश लोटी। भोपाल पहुंचने पर विधायक गोपालसिंह इंजीनियर के नेतृत्व में एयरपोर्ट पर बेटी प्रीति एवं चेतन परमार की अगवानी की। पुष्पगुच्छ भेंट कर दोनों का स्वागत सम्मान किया।
यूरोप से स्वदेश लौटने पर विधायक गोपालसिंह इंजीनियर के साथ बेटी प्रीति (Sehore News) एवं चेतन परमार मंत्रालय पहुंचे एवं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भेंट की। यूरोप की सबसे ऊंची पर्वत की चोंटी पर पहुच कर वहां हिंदुस्तान का तिरंगा फहराने पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस बड़ी उपलब्धि के साथ इतनी कम उम्र में इतिहास रचने पर बेटी प्रीति को बधाई देते हुए आशीर्वाद दिया।
कम उम्र की पर्वतारोही
इस साहसिक अभियान के लिए मध्यप्रदेश शासन (Sehore News) द्वारा विधायक गोपाल सिंह इंजीनियर की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री ने बेटी को प्रोत्साहन राशि स्वरूप 4 लाख रुपए प्रदान किए थे । मुख्यमंत्री यादव ने मंत्रालय में प्रीति परमार को बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बिटिया समृद्ध मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है।
ये जनप्रतिनिधि थे मौजूद
मंत्रालय में बेटी (Sehore News) के सम्मान के दौरान विधायक गोपालसिंह इंजीनियर,सीहोर विधायक श्री सुदेश राय, नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाडा,उत्थान धारवा,गवाखेड़ा सरपंच धर्मेंद्र आदि उपस्तिथ थे। बेटी ने यह उपलब्धि हासिल कर भारत देश के साथ मप्र एवं सीहोर जिले के साथ आष्टा का नाम रोशन किया है। वह एल्ब्रस पर्वत पर चढ़ने वाली देश एवं मध्य प्रदेश की सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हैं।
जुनून और लगन होना जरूरी
अत्यधिक खराब मौसम के बावजूद प्रीति (Sehore News) और चेतन ने अपने दृढ़ संकल्प और साहस के बल पर इस चुनौती को पूरा किया। प्रीति की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे राज्य को गर्व से भर दिया है। इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी चुनौती को स्वीकार कर उसे पूरा करना प्रीति के अद्वितीय साहस, धैर्य और मेहनत का परिणाम है। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर जुनून और लगन हो तो उम्र महज एक संख्या होती है। एल्ब्रस पर्वत, जिसकी ऊंचाई 5,642 मीटर है, को फतह करना हर पर्वतारोही का सपना होता है।
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प्रीति से स्वीकार की चुनौती
प्रीति (Sehore News) ने इस चुनौती को स्वीकार कर इसे पूरा किया, जो उनकी असाधारण क्षमता और हिम्मत को दर्शाता है। प्रीति की इस सफलता से न सिर्फ उनकी उम्र के बच्चों बल्कि सभी को प्रेरणा मिली है। प्रीति अब एक मिसाल बन गई हैं और उनकी यह यात्रा सभी के लिए प्रेरणादायक है। सफलता प्राप्त करने के बाद बेटी प्रीति परमार 22 अगस्त को अपने गृह ग्राम लौट आई है। आष्टा आने पर विधायक गोपालसिंह इंजीनियर के नेतृत्व में बेटी प्रीति एवं चेतन परमार का रैली के रूप में विधायक कार्यालय लाया गया! जहां भव्य स्वागत किया गया।