Organic Farming: मोगराफूल। मोगराफूल ग्राम पंचायत में ग्रामीण विकास, स्वच्छ ऊर्जा और स्थानीय उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ब्रिकेटिंग तकनीक पर आधारित चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन मां हिंगलाज सेवा समिति एवं कर्मयोगी जनकल्याण संस्था द्वारा, मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, भोपाल के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम के संयोजक संजू जसवंत सिंह, सरपंच प्रतिनिधि, ग्राम पंचायत मोगराफूल रहे।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित शंकर पटेल, जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि, ने कहा कि “गांव का युवा पलायन कर शहर में मजदूरी करता है और गांव में इंडस्ट्री में कार्यरत बताता है। जबकि घरेलू कचरे का ब्रिकेटिंग organic farming स्टार्ट अप कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा दे सकता है।” उन्होंने युवाओं, महिलाओं और पुरुषों को प्रशिक्षण से अधिक से अधिक लाभ उठाने की सलाह दी। जैविक खेती की ओर रूख करने की सलाह भी दी। जैविक कीटनाशक खुद बनाने के साथ कहा कि गौमूत्र में चूना मिलाकर सोयाबीन बीज भिगोयें और फिर बोनी करें, जैविक खाद का उपयोग करें। कैमिकल युक्त यूरिया या कीटनाशक खेतों में न डालें।
कार्यक्रम में जसवंत सिंह, सरपंच मोगराफूल ग्राम पंचायत, असरफ खां, उपसरपंच मोगराफूल ग्राम पंचायत, तथा हरीश जोशी, सचिव मोगराफूल ग्राम पंचायत, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
रंजीत सिंह चौहान ने कहा कि “ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की तकनीकी पहलें युवाओं को आत्मनिर्भर बना सकती हैं।”organic farming
जसवंत सिंह ने कहा कि “मोगराफूल ग्राम पंचायत नवाचारों को अपनाकर विकास की मिसाल बनाना चाहती है।”
असरफ खां ने कहा कि “कचरे को ईंधन में बदलने की यह तकनीक गांवों में ऊर्जा संकट का समाधान बन सकती है।”
हरीश जोशी ने कहा कि “ग्राम पंचायत इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सतत रूप से बढ़ावा देगी।”
कार्यक्रम का संचालन अनुराग कुमार ने किया, जबकि अतिथियों का स्वागत रंजीत सिंह चौहान द्वारा किया गया।
डॉ. आकाश पटेल, इस कार्यशाला के मुख्य विषय विशेषज्ञ, ने घरेलू कचरे से ब्रिकेट बनाने की तकनीक को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक पर्यावरण के लिए अनुकूल है और गांवों में रोजगार की नई संभावनाएं पैदा कर सकती है। अब हमें ग्राम स्वराज के लिये गांवों में स्टार्ट अप खोलने की नितांत आवश्यकता है।
अनुराग शुक्ला, विशेष विषय विशेषज्ञ के रूप में, ने ग्राम आधारित उद्योगों की उपयोगिता पर बात करते हुए कहा कि आज शिक्षा को जमीन से जोड़ने की ज़रूरत है, ताकि युवा केवल सर्टिफिकेट नहीं, कौशल भी अर्जित करें।
तकनीकी व्यवस्थाओं का समुचित संचालन विपिन सिंह ठाकुर ने किया, जिन्होंने प्रतिभागियों को मशीनों की कार्यप्रणाली से भी परिचित कराया।
कार्यक्रम के समापन पर अनिल मालवीय ने उपस्थित सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस कार्यशाला ने स्थानीय युवाओं में तकनीकी जागरूकता और आत्मनिर्भरता की भावना को मजबूती दी। बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने इसमें भाग लेकर यह स्पष्ट किया कि अगर मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध हों, तो गांव खुद अपनी तरक्की की कहानी लिख सकते हैं।